tag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post3673379988187583602..comments2023-10-09T18:11:01.824+05:30Comments on मत-मतांतर: साम्प्रदायिक इतिहास लेखन: एक बहसराजू रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/06383761662659426684noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post-8960912366844233992010-08-25T07:26:40.641+05:302010-08-25T07:26:40.641+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post-70924453215711075162010-08-23T18:25:18.474+05:302010-08-23T18:25:18.474+05:30मिहिरभोज जी , जो मार काट थी वो सत्ता की मांग थी .इ...मिहिरभोज जी , जो मार काट थी वो सत्ता की मांग थी .इतिहास में पिता पुत्र के बीच हिंसक घटनाएं अज्ञात नहीं हैं. इन चीजों का महजब से क्या वास्ता ?महजबी शासकों ने धर्मं का सत्ता के लिए इस्तेमाल कियाUnknownhttps://www.blogger.com/profile/12512859852685573217noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post-2365487566892606102010-08-23T17:19:54.732+05:302010-08-23T17:19:54.732+05:30मुझे तो लगता है भारत मैं धर्म निरपेक्षता की अवधारण...मुझे तो लगता है भारत मैं धर्म निरपेक्षता की अवधारणा औरंगजैब से ही आई है.....उसने जो हिंदु मंदिरों को तोङ तोङ कर औऱ हिंदू जनता को मार मार कर भारत की अर्थव्यवस्था को..... सुधारने का ही तरीका था ....अद्वितिय....इतिहास को समझने की आपकी दृष्टि सचमुच अद्वितीय है....औऱ गुरू तेग बहादुर को जो उसने मार डाला वो शायद किसी सिरफिरे ने इतिहास मैं लिखा होगा....और गुरू गोविंद सिंह जी के दोनों पुत्रों को दीवार मैं चुनवा दिया ....न न ये तो हुआ ही नहीं वो तो दीवार पर खेल रहे होंगे और कूद गये होंगे न.....इतिहास को देखने की आपकी दृष्टि विलक्षण है.....मोहम्मद बिन कासिम से लेकर बाबर तक के शांति दूत यहां आये जिनके व्यकित्व से प्रभावित होकर भारत की जनता मुसलमान बन गई ...उन्होने कोई मंदिर भी नहीं तोङा ....न किसी को जबरन मुसलमान बनाया......राईटdrdhabhaihttps://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post-35715699241322484412010-08-23T16:11:19.825+05:302010-08-23T16:11:19.825+05:30हमारा इतिहास, सहयोगी संदर्भ भंडार है, किसी भी प्रस...हमारा इतिहास, सहयोगी संदर्भ भंडार है, किसी भी प्रस्ताव की स्थापना के लिए हमेशा मददगार. सब कुछ मिल जाता है, इसमें. बस जरूरत खंगालने की होती है, खूब खंगाला है आपने, बधाई.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post-19049511419675936772010-08-23T16:09:14.649+05:302010-08-23T16:09:14.649+05:30औरंगजेब मुसलमान था इसलिए उसने मंदिरों को तोड़ा, इसक...औरंगजेब मुसलमान था इसलिए उसने मंदिरों को तोड़ा, इसका हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है। सच तो यह है कि ‘उसने अनेक हिन्दू दातव्य संस्थान स्थापित किये थे। अगर मंदिरों को तोड़ना एवं लूटना ही हिन्दू विरोधी होने का प्रमाण है तो हिन्दू राजा हर्ष को भी इसी श्रेणी में रखा जाना चाहिए। उसने भी मंदिरों को तोड़ा एवं लूटा। रोमिला थापर ने ‘कम्युनलिज्म एंड द राइटिंग ऑफ इंडियन हिस्ट्री’ में स्पष्ट उल्लेख किया है कि ‘हर्ष ने खासतौर पर एक ऐसे पदाधिकारी को बहाल ही कर रखा था जिसका काम मंदिरों को तोड़ना एवं लूटना था।’ किन्तु इसे हम नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि वह हिन्दू शासक था, और औरंगजेब हिन्दू विरोधी क्योंकि वह मुसलमान था। <br /><br /><br />कौन सुनेगा किसको सुनाएँ !! <br /><br />रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकानाएं !<br /><br />समय हो तो अवश्य पढ़ें यानी जब तक जियेंगे यहीं रहेंगे !<br />http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.htmlشہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.com