tag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post6569099551477964330..comments2023-10-09T18:11:01.824+05:30Comments on मत-मतांतर: कवि का चेहराराजू रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/06383761662659426684noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1353387744994307265.post-76884337644025536492010-08-13T08:51:59.523+05:302010-08-13T08:51:59.523+05:30जैसा यह पढ़कर समझ में आ रहा हूं, समूची बात हमेशा क...जैसा यह पढ़कर समझ में आ रहा हूं, समूची बात हमेशा की तरह अपनी पक्षधरता या प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति है और उसके लिए कुछ अध-कचरे से 'तथ्य' चुन लिये जाते हैं और तथ्यों में सच्चाई का अंश तो सदा संदिग्ध होता ही है. कई बार यह भी लगता है कि इस तरह का लेखन संवेदनशीलता की परीक्षा लेने और इस सबके बावजूद सौमनस्य बना रहे, इस उद्देश्य से तो नहीं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.com